Friday, January 15, 2016

बस एक मिनट और बुजुर्गों का स्वास्थ्य

6 दिसंबर २०१५ 

 इस बार जब हम वृद्धाश्रम पहुंचे तो बहुत सारी तैयारियों के साथ पहुँचे। हमने तैयार किये थे ढेर सारे एक मिनट वाले खेल। पहुंचते ही बाहर आंगन में हमने जमाई बैठक, लगाई बीच में एक टेबल और शुरू कर दिया खेलों का सिलसिला। हमने बनाये छोटे छोटे बाबा-दादियों केे ग्रुप और फिर खिलाये उनको खेल।
पहला खेल था बोतल में धागे से लटकी चूड़ी पहनाने का खेल, फिर चावल में से मटर अलग करना, स्ट्राॅ से थर्मोकोल बाॅल्स उठाना, फूले हुए गुब्बारों पर नुकीले पेन से नंबर लिखवाना, एक तीली से मोमबत्ती जलाना, टंगट्विस्टर बुलवाना, फोटो में बिंदी लगवाना, सुई में धागा डलवाना, पानी से भरी हुई बाल्टी में रखी हुई कटोरी में सिक्के डालना आदि।


जैसे जैसे शाम गुजर रही थी, हमारे बाबा दादियों की हंसी, ठहाके और उत्साह भी बढ़ रहा था। कुछ हमसे लड़ रहे थे कि एक मिनट अभी पुरा नहीं हुआ है, तो कुछ गिफ्ट में मिलने वाली चाॅकलेट की जिद कर रहे थे। बुढ़ापे में बचपने की सिर्फ बातें सुनी थीं, उस दिन हमने देख भी लीं।




इस मस्ती और ठहाकों के बीच हमें पता चला कि कुछ बाबा दादियों की तबियत कुछ नासाज़ है। इसी बीच हमारे एक नज़दीकी ने हमसे संपर्क किया कि वे अपनी बेटी के जन्मदिन के उपलक्ष्य में हमारे बाबा दादियों के लिये कुछ करना चाहते थे। हमारे सुझाव को उन्होंने सहर्ष स्वीकार कर लिया और वहां ब्लडप्रेषर और शुगर की जांच का शिविर लगा दिया। जांच के दौरान हमने देखा कि कई बाबा दादियों की शुगर और ब्लडप्रेशर काफी बढ़ा हुआ था। हमें और भी उनकी तकलीफों का पता चला, जैसे हड्डियों की तकलीफ, आंखों की दिक्कत और कई छोटी बड़ी बीमारियां। हमें भी लगा कि इस उम्र में लगातार जांच होती रहनी चाहिये और इसी की शुरूवात हमने की है, उनकी तकलीफ कम करने के लिये...उम्मीद करते हैं हमारी ये पहल भी सार्थक हो।