Monday, April 20, 2015

कला और सांस्कृतिक विरासत के लिए इंडियन नेशनल ट्रस्ट (इंटैक) का बिलासपुर अध्याय


Indian National Trust for Art and Cultural Heritage (INTACH) 
का बिलासपुर अध्याय



हमारी धरोहर
बिलासपुर स्टेशन पर पुराना इंजन

बीता हुआ कल यूं तो वापस नहीं आता लेकिन अतीत के पन्नों को हमारी विरासत के तौर पर कहीं पुस्तकों तो कहीं इमारतों के रुप में संजो कर रखा गया है. हमारे पूर्वजों ने हमारे लिए निशानी के तौर पर तमाम तरह के मकबरे, मस्जिद, मंदिर और अन्य चीजों का सहारा लिया जिनसे हम उन्हें आने वाले समय में याद रख सकें. लेकिन वक्त की मार के आगे कई बार उनकी यादों को बहुत नुकसान हुआ. किताबों, इमारतों और अन्य किसी रुप में सहेज कर रखी गई यादों को पहले हमने भी नजरअंदाज कर दिया जिसका परिणाम यह हुआ कि हमारी अनमोल विरासत हमसे दूर होती गई.लेकिन वक्त रहते हमने अपनी भूल को पहचान लिया और अपनी विरासत को संभालने की दिशा में कार्य करना शुरु कर दिया. पुरानी हो चुकी जर्जर इमारतों की मरम्मत की जाने लगी, उजाड़ भवनों और महलों को पर्यटन स्थल बना उनकी चमक को बिखेरा गया, किताबों और स्मृति चिह्नों को संग्रहालय में जगह दी गई. पर विरासत को संभालकर रखना इतना आसान नहीं है. हम एक तरफ तो इन पुराने इमारतों को बचाने की बात करते हैं तो वहीं दूसरी तरफ हम उन्हीं इमारतों के ऊपर अपने नाम लिखकर उन्हें गंदा भी करते हैं. अपने पूर्वजों की दी हुई अनमोल वस्तु को संजो कर रखने की बजाय उसे खराब कर देते हैं.


विश्व धरोहर दिवस
चर्च

विश्व विरासत स्थल ऐसे खास स्थानों (जैसे वन क्षेत्र, पर्वत, झील, मरुस्थल, स्मारक, भवन, या शहर इत्यादि) को कहा जाता है, जो विश्व विरासत स्थल समिति द्वारा चयनित होते हैं और यही समिति इन स्थलों की देखरेख युनेस्को के तत्वावधान में करती है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य विश्व के ऐसे स्थलों को चयनित एवं संरक्षित करना होता है जो विश्व संस्कृति की दृष्टि से मानवता के लिए महत्वपूर्ण हैं। कुछ खास परिस्थितियों में ऐसे स्थलों को इस समिति द्वारा आर्थिक सहायता भी दी जाती है। 2006 तक  पूरी दुनिया में लगभग 830 स्थलों को विश्व विरासत स्थल घोषित किया जा चुका है जिसमें 644 सांस्कृतिक, 24 मिले- जुले और 138 अन्य स्थल हैं। प्रत्येक विरासत स्थल उस देश विशेष की संपत्ति होती है, जिस देश में वह स्थल स्थित हो परंतु अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का हित भी इसी में होता है कि वे आनेवाली पीढियों के लिए और मानवता के हित के लिए इनका संरक्षण करें. बल्कि पूरे विश्व समुदाय को इसके संरक्षण की जिम्मेवारी होती है।


विश्व विरासत दिवस का इतिहास
१०० साल पुराना पुल

हमारे पूर्वजों और पुराने समय की यादों को संजोकर रखने वाले इन अनमोल वस्तुओं की कीमत को ध्यान में रखकर ही संयुक्त राष्ट्र की संस्था युनेस्को ने वर्ष 1983 से हर साल 18 अप्रैल को विश्व विरासत दिवस मनाने की शुरुआत की थी. इससे पहले हर साल 18 अप्रैल को विश्व स्मारक और पुरातत्व स्थल दिवस के रुप में मनाया जाता था. हमारे पूर्वजों की दी हुई विरासत को अनमोल मानते हुए इस दिवस को विश्व विरासत दिवस में बदल दिया. 






कला और सांस्कृतिक विरासत के लिए इंडियन नेशनल ट्रस्ट (इंटैक)
बिलासपुर रेलवे स्टेशन
1984 में, कला और सांस्कृतिक विरासत के लिए इंडियन नेशनल ट्रस्ट (इंटैक) एक समाज के रूप में पंजीकृत किया गया था और प्रोत्साहित करना और भारत में विरासत के प्रति जागरूकता और संरक्षण की अगुवाई करने के लिए एक सदस्यता संगठन बनाने के लिए दृष्टि के साथ स्थापित किया गया। आज इंटैक देश भर में 180 से अधिक अध्यायों के साथ दुनिया की सबसे बड़ी विरासत संगठनों में से एक के रूप में मान्यता प्राप्त है। भारतीय सांस्कृतिक निधि (इन्टैक) एक गैर सरकारी व लाभ न कमाने वाली संस्था है। भारत की प्राकृतिक और सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और उन्नयन के लिये समयानुकूल और नीतिगत हस्तक्षेप करना जिसका उद्देश्य है। Intach क्षेत्रीय, सांस्कृतिक एवं नैसर्गिक वैभव के लिये हानिकारक कृत्यों को रोकता है तथा स्थानीय विरासत को सुरक्षित और विकसित करने के लिये सकारात्मक भूमिका निभाता है


इंटैक का बिलासपुर अध्याय 


छत्तीसगढ़ भारत के हृदय स्थल का दक्षिण पूर्वी भू-भाग है। इसके अंतर्गत 27 जिले स्थित हैं। मेकल, सिंहावा और रामगिरि की पर्वत श्रेणियों से घिरा हुआ है। INTACH के बिलासपुर अध्याय का उद्घाटन 17 जून 2006 को INTACH नई दिल्ली के निदेशक मेजर जनरल एल.के.गुप्ता के मुख्य आतिथ्य में संपन्न हुआ था। ये अध्याय बिलासपुर संभाग की नामांकन प्रक्रिया पूर्ण कर चुका है,यहां के रेल्वे परिक्षेत्र की 100 वर्षीय पुरानी इमारतों की नामांकन प्रक्रिया भी पूर्ण हो चुकी है। कवर्धा व सरगुजा जिलों की लिस्टिंग का कार्य भी बिलासपुर अध्याय द्वारा किया जा रहा है। बिलासपुर नगर की 100 साल या उससे पुरानी धरोहरों और इमारतों को चिन्हित कर एक ब्रोशर का निर्माण करवाया गया था जिसका आॅडियो संस्करण इस धरोहर दिवस पर 18 अ्रप्रेल 2015 को प्रस्तुत किया गया।



2 comments:

  1. सार्थक जानकारी, आने वाली पीढियां देखेंगी हमारी धरोहर।

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