Monday, March 9, 2015

mahila divas podcast



नारी तुम केवल श्रद्धा हो, विश्वास रजत नग पग तल में।
पीयूष स्रोत सी बहा करो, जीवन के सुंदर समतल में।।



पॉडकास्ट में शामिल गीत
जूही की कली मेरी लाडली - दिल एक मंदिर
ओ माँ - दादी माँ
नारी हूँ कमज़ोर नहीं - आखिर क्यू 
नारी जीवन मेहंदी  का बूटा  - मेहंदी
मैं नारी हूँ- नारी

ओ वुमनिया-गैंग्स ऑफ़ वासेपुर



सुभद्रा कुमारी चौहान
मैंने हँसाना सीखा है मैं नहीं जानती रोना।
बरसा करता पल-पल पर, मेरे जीवन में सोना।
मैं अब तक जान न पाई, कैसी होती है पीड़ा।
हँस-हँस जीवन में मेरे, कैसे करती है क्रीडा।
जग है असार, सुनती हूँ, मुझको सुख-सार दिखाता।
मेरी आँखों के आगे, सुख का सागर लहराता।
उत्साह-उमंग निरंतर, रहते मेरे जीवन में।
उल्लास विजय का हँसता, मेरे मतवाले मन में।
आशा आलोकित करती, मेरे जीवन को प्रतिक्षण।
हैं स्वर्ण-सूत्र से वलयित, मेरी असफलता के घन।
सुख भरे सुनहले बादल, रहते हैं मुझको घेरे।
विश्वास प्रेम साहस हैं, जीवन के साथी मेरे।

धीरेन्द्र सिंह 
आसमान सा है जिसका विस्तार, चॉद-सितारों का जो सजाए संसार
धरती जैसी है सहनशीलता जिसमें, है नारी हर जीवन का आधार
कभी फूल सा रंग-सुगंध लगे, कभी चींटी सा बोझ उठाए अपार
कभी स्नेह का लगे दरिया निर्झर, कभी बने किसी का परम आधार
चूल्हा-चैका रिश्तों-नातों की वेणी, हर घर की यह गरिमामय शृंगार
आज कहाँ से कहाँ पहुँच गई है, हर नैया की बन सशक्त पतवार
घर से दफ्तर चूल्हे से चंदा तक, पुरुष संग अब दौड़े यह नार
महिला दिवस है शक्ति दिवस भी, पुरुष नजरिया में हो और सुधार


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