Tuesday, May 22, 2012

100 साल का सिनेमा और बिलासपुर का नज़मा रिकॉर्डिंग सेन्‍टर

बिलासपुर के नज़मा रिकॉर्डिंग सेन्‍टर में भारतीय सिनेमा के अवसर पर आयोजित प्रदर्शनी







प्रदर्शनी में भारतीय सिनेमा के दुर्लभ संग्रह के दर्शन
सिनेमा का वो दौर बुजुर्गों ने याद किया जब एक घर में रेडियो सुनने के लिये लोग जमा हुआ करते थे.....

स्‍पूल टेपरिकॉर्डर का ज़माना...आनंद फिल्‍म का वो बाबू मोशाय....रिकॉर्ड करने वाला यंत्र जो कई आकाशवाणी केन्‍द्रों में आज भी मौजूद है..


 
ग्रामोफोन रिेकॉर्ड.....जिसे आज लोग ड्राइंगरूम में रखना शान समझते हैं....एक समय था जब ये घरों में शान के साथ बजा भी करते थे....रिकॉर्डस अभी भी मिल जाते हैं, परन्‍तु इस बेजोड़ यंत्र के पार्ट्स मिलने अब बंद हो चुके हैं







  उस दौर मे सिनमाघरों में 20-25 पैसों में फिल्‍मों के गीतों की किताबें मिला करती थीं...


नज़मा रिकॉर्डिंग सेंटर बिलासपुर की 1932 की दुकान है यानि 1931 से एक साल बाद जबकि भारत में पहली बोलती फिल्‍म बनी थी....यहां आज के अशफाक भारमल के दादाजी ने यह संग्रह आरंभ किया था...इस अनमोल संग्रह को आज उनकी चौथी पीढी भी जतन से सहेज कर रख रही है और भारतीय सिनेमा के 100वें वर्ष के अवसर पर इस संग्रह को लोगों के सामने प्रदर्शित भी कर रही है....खास बात ये कि ये सारे उपकरण आज भी चलती अवस्‍था में हैं.....इस अनमोल धरोहर को संग्रहित करके रखने के लिये पूरा भारमल परिवार बधाई का हकदार है...



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