Wednesday, December 28, 2011

बोलते वि‍चार 45- ...से बचना सीखिए

.बोलते वि‍चार 45
आलेख व स्‍वर - डॉ.आर.सी.महरोत्रा
    
नियम तोड़ने वाले कुछ लोग अज्ञानी और अयोग्य होते हैं तथा कुछ लोग राक्षसी प्रवृति के होते हैं। ऐसे लोगों को सुधारने की कोशिश करने का मतलब या तो ‘भैंस के आगे बीन बजाना’ है या ‘आ बैल मुझे मार’ है। उन्हें जब बड़े-बड़े संत और सर्वोच्च न्यायालय भी नहीं सुधार पाए तो आप क्या सुधार पाएँगे।
    
आप अपने वाहन से कहीं जा रहे हैं। सड़क पर कूड़े-कचरे का ढेर सामने आता है। आप उससे वाहन को बचाते हुए आगे बढ़ जाते हैं। इसी प्रकार सड़क पर बहुत बेहूदे ढंग से दौड़ता हुआ कोई वाहन आ रहा है। आप अपने वाहन को धीमा करके काफी किनारे हो जाते हैं। यही तरीके श्रेयस्कर हैं। न तो आप अपने वाहन को कूड़े पर चढ़ाते हैं और न उसे दूसरे वाहन से भिड़ाते हैं।


    
आपके मन को शांति तभी मिल सकेगी जब आप यह मानकर चलें कि मानव और उसका यह संसार बेहद अपूर्ण है। आप दूसरों की अपूर्णताओं पर चिंतित और परेशान होकर अपना संतुलन न खोइए और अपनी ऊर्जा एवं समय को बरबाद न कीजिए। उतनी बचत से आप अपने लिए बहुत कुछ कर सकते हैं।
    
जीवन का लक्ष्य आत्मोन्नति है, भैंसों और राक्षसों को इनसान बनाने में अपना समय और मूड खपाना नहीं, आपके सम्मार्ग का रोड़ा बनने के लिए इन्सानियत की परीक्षा में सदा फेल होनेवाले कुछ प्राणी हर युग में रहे हैं और हर युग में रहेंगे। इन्हें अपने लिए महत्‍वहीन मानते हुए इनसे दूर रहिए। जीवन के हर क्षेत्र में आप कुछ चीजों का वरण करते हैं और कुछ का त्याग करते हैं। इनका त्याग कीजिए। वरण किए जाने के लिए सैकड़ों अन्य लोग और उनकी अच्छाइयाँ हैं। यदि नियमों को तोड़कर संसार को जंगल बनाने की चेष्टा करने वाले लोग दुनिया में हैं तो ऐसे लोगों की भी कमी नहीं हैं, जो नियमों का पालन करके संसार को जीने लायक बनाने के लिए प्रयास करते रहते हैं। विश्वास कीजिए कि आप इन्हीं में से एक हैं, अन्यथा आप इस लेख को पूरा न पढ़ते।

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